जंगल का राजा है बाघ बड़ा,
शक्तिशाली शिकारी, शांत और शातिर,
गहरी आँखें, नुकीले दांत, जंगल में सबसे है वो शांत।
धारियों से सजा है तन उसका
पेड़ों की छाया में, करता वह विचरण
हर कदम पर है गौरव और उसकी शान
पर अब जंगल सिमट रहे, घर है उसका खो रहा,
बाघ का बसेरा अब हो रहा धुंधला ।
कभी जो राजा था जंगल का
अब शिकारियों का बना शिकार,
बंदूक की आवाज़ से, कांप उठता वन,
अंधकार में डूबता जाता बाघ का जीवन
शिकार की प्रथा हमें रोकनी होगी,
बाघ की जान की हमें कद्र करनी होगी।
पेड़ लगाएँ, जंगलों को सजाएँ,
संरक्षण की राह पर, कदम बढ़ाएँ,
बाघ को बचाने की प्रतिज्ञा उठाएँ।
आओ मिलकर करें हम सभी प्रयास
संरक्षण का लें हम संकल्प बाघ
को बचाने का करें विकल्प
गूँज उठे बाघ की दहाड़ से फिर हर वन,
सुरक्षित रहे जंगल और जीवन।