जो पुरुष अपनी संतानों को समय नहीं दे सकते, उन्हें यह बात समझ में नहीं आती कि पैसा कमाकर अपनी संतानों को सुख-सुविधा और वस्तुएँ दे देने से पिता के रूप में उनके जो कर्तव्य हैं, वे पू नहीं हो जाते । वास्तव में पिता के रूप में सबसे महत्वपूर्ण बात है, उस समय बड़ हो रहे अपने बच्चे को अपना समय देकर अच्छी-बुरी जीवन के सिद्धंत और मूल्यों को सिखाना अधिक जरूरी है। करोड़ों रुपए देकर जाने के बजाय रपए को किस तरह से कमाना और कमाने के बाद उसका क्या करना, वह सिखाना अधिक जरूरी होता है। महत्वाकांक्षा के पीछे दौड़ रहे पिता जब यह सब भूलकर अपनी संतानों को वस्तुएँ और सुविधाँ देकर अपनी अनुपस्थिति को पूरा" करने का प्रयत्न करते हैं, तब अंत में अपनी संतान को गलत दिशा में जाते हुए रोक नहीं सकते हैं। ~काजल ओझा वैद्य.
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