एक बार पर्वत के ऊपर दानव एक कहीं से आया। भारीसर था, बाल बड़े थे बड़ा भयानक वेश बनाया। उसकी सिर्फ एक आदत थी चला सदा कुल्हाड़ी लेकर पेड़ों कापूरा दुश्मन था हरियाली से करता नफरत हर जगह रेगिस्तान चाहता इसलिए काटा करता वन हो उजाड़ कर फूल नाकोई तो खुश हो जाता उसका मन अपनी इस आदत के कारण कट कट कर पेड़ गिराए सब लोगोंने लेकिन कुछ भी समझ न पाए काफी पेड़ काटे जब बैंक सारी नदिया बाड़ लाई कोयल मैना चिड़िया रए धरती की आंखें भर आई चिंता बड़ी आदमी की तब सब ने उसे दानव को पकड़ा बड़े-बड़ेमोटे रसों में उसकी बुरी तरह से झगड़ा चल फेकने पर्वत परसे तब दानवने माफ़ी मांगी सब लोगों ने मारा उसको सजा इस तरह देदी काफी जगह-जगह फिर पेड़ लगाए बने हरियाली आई रुकी बार छा गई घटाएंसुंदर पर्वत परछाई बादलगया था अब दानव भी पेड़ नहीं फिर उसने काटे पर्वत पर रहने वालों के उसने मिलकर सुख-दुख बातें। बहुत पुरानीहै यह घटना सुनी सुनाई है बचपनकी आज लोग फिर वृक्ष काटकर छीन रहे हरियाली वन की, छीन रहे हरियाली वन की, छीन रहे हरियाली वन की।